16 साल बाद इंसाफ की ओर एक कदम: 26/11 हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा की भारत वापसी और एनआईए द्वारा गिरफ्तारी
16 साल बाद इंसाफ की ओर एक कदम: 26/11 हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा की भारत वापसी और एनआईए द्वारा गिरफ्तारी
16 साल बाद, भारत ने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के एक अहम साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर एक बड़ी कूटनीतिक सफलता हासिल की है। जैसे ही वह 10 अप्रैल 2025 को दिल्ली पहुंचा, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उसे औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया।
कौन है तहव्वुर राणा?
तहव्वुर राणा एक पाकिस्तानी मूल का कनाडाई व्यापारी है, जो अमेरिका में एक इमिग्रेशन कंसल्टेंसी कंपनी चलाता था। उसका नाम पहली बार उस समय सामने आया जब 26/11 हमलों में शामिल अमेरिकी नागरिक डेविड कोलमैन हेडली ने जांच एजेंसियों को बताया कि राणा ने उसे भारत में रेकी के लिए समर्थन दिया था। उसकी कंपनी को इस मिशन के लिए एक कवर के रूप में इस्तेमाल किया गया।
प्रत्यर्पण की लंबी लड़ाई
2013 में अमेरिका की एक अदालत ने राणा को आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को समर्थन देने के आरोप में 14 साल की सजा सुनाई थी। हालांकि 26/11 के हमलों में उसे अमेरिका में सजा नहीं दी गई थी क्योंकि अपराध भारत में हुआ था। भारत लगातार उसकी प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था। आखिरकार, फरवरी 2025 में अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने उसकी अपील खारिज कर दी और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद उसका प्रत्यर्पण संभव हो सका।
भारत की प्रतिक्रिया
गृह मंत्री अमित शाह ने इस कदम को भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का परिणाम बताया। उन्होंने कहा, “यह उन 166 मासूम लोगों के लिए न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम है जो 26/11 को मारे गए थे।”
एनआईए अब तहव्वुर राणा से गहन पूछताछ करेगी ताकि उन सभी कड़ियों को जोड़ा जा सके जो अब तक अधूरी थीं। इससे लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की भूमिका को लेकर और भी जानकारी मिल सकती है।
निष्कर्ष
तहव्वुर राणा की भारत वापसी न सिर्फ एक कूटनीतिक जीत है, बल्कि यह पीड़ितों के परिवारों के लिए न्याय की एक नई उम्मीद भी लेकर आई है। 26/11 हमले न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक सदमा थे, और अब उस घाव पर न्याय का मरहम लगने की शुरुआत हो चुकी है।
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